Bakra Eid 2023– Eid-ul-Adha (Bakra eid) दुनिया भर के मुसलमानों के बीच उस कुर्बानी (बलिदान) की याद में मनाया जाने वाला त्योहार है। जो Paigambar Ibrahim (AS) ने Allah की मोहब्बत मे अपने बेटे इस्माइल (AS) को कुर्बान करने को राज़ी हो गए थे।
Kaun Hai Paigambar Ibrahim(AS)(Maqam e Ibrahim)
Bakra Eid– Hazrat Ibrahim (AS) इस्लाम धर्म के एक लाख 24 हजार पैगंबरों में से एक हैं। इस्लाम धर्म में उनको बड़ी इज्जत की निगाह से देखा जाता है। Hazrat Ibrahim (AS) का लकब ख़लीलुल्लाह मतलब अल्लाह का दोस्त है। कुरआन शरीफ की चौदहवीं सूरत “सूरह इब्राहीम” उन्हीं ही के नाम पर है। कुरआन मजीद में Allah Ta-Alaa ने कई जगहों पर Hazrat Ibrahim (AS) की खूबियां और तारीफ बयान की है।
कुरआन करीम में ऐसे बहुत सारे पैगंबरों का जिक्र है, जो Hazrat Ibrahim (AS) की नस्ल से हैं। हजरत इब्राहीम की नस्ल से हजरत मूसा अलैहिस्सलाम, हजरत ईसा अलैहिस्सलाम और हजरत मोहम्मद (SAW) प्रमुख पैगंबर हुए हैं।
यही वजह है कि दुनिया के तीन बड़े धर्म यहूदियत, ईसाइयत और इस्लाम (Judaism, Christianity and Islam) के मानने वाले हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को अपना पैगम्बर मानते हैं। इन तीनों धर्मों को इब्राहीमी धर्म कहा जाता है। यही वजह है कि ये तीनों धर्म एक ईश्वर में विश्वास रखते हैं।
Bakra Eid ( Eid al Adha )2023
एक बार अल्लाह ने इब्राहीम अलैहिस्सलाम के ख़्वाब मे आकर कहा, इब्राहीम मेरी राह में वो चीज क़ुर्बांन करो। जो तुमको सब से अजीज यानी सबसे प्यारी हो। इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने सुबह होते ही दुम्बे (भेड़) की कुर्बानी कर दी। फिर अगली रात को वही खुआब दिखा। इब्राहीम मेरी राह मे ऐसी चीज क़ुर्बांन करो जो तुमको सबसे प्यारी हो। फिर अगले दिन में इब्राहीम अलैहिस्सलाम इस बार ऊँट को लेकर जाते हैं और कुर्बानी कर देते हैं। लेकिन फिर से वही सवाल कि इब्राहीम मेरी राह मे ऐसी चीज कुर्बानी दो। जो तुमको सबसे प्यारी हो। फिर इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने सोचा की भेड़ भी जीभा कर चुका हूँ। ऊँट भी कुर्बानी कर चुका हूँ। आखिर वो कौन सी चीज है जो मेरी सबसे प्यारी है।
Allah ke Liye Ibrahim (AS) ki Mohabbat
इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सोच फिर अपने बेटे इस्माइल अलैहिस्सलाम पर गयी। सोचा यहि है जो मुझको सबसे अजीज और जान से प्यारा है। फिर अगले दिन अपने बेटे को नेहला कर, ख़ुशबू लगा कर साथ ले जाते है। जैसे ही कुर्बानी की लिए खंजर गर्दन पर चलाते है। तभी अल्लाह का हुकुम होता है जिब्रैइल अलैहिस्सलाम फरिश्ते से जाओ और जन्नत से एक दुम्बा उठाओ। और इस्माइल की गर्दन कटने से पहले दुम्बा रख दो।
अल्लाह को इब्राहीम अलैहिस्सलाम की यही अदा और अल्लाह की मोहब्बत की लिए अपने बेटे की कुर्बानी के लिए राज़ी हो जाना बहुत पसंद आया। तभी से इस कुर्बानी को मुस्लिम समुदाय के जीवन से जोड़ दिया। जिसको हम बकरा ईद कहते हैं । कुरान में इस घटना का जिक्र है। इसलिए, हर साल धू-अल-हिजजाह की 10 तारीख को, दुनिया भर के मुसलमान ईद उल अजहा मनाते हैं। “धू अल-हिजजाह” का शाब्दिक अर्थ है “तीर्थयात्रा का” या “तीर्थ का महीना”। इस महीने के दौरान दुनिया भर के मुस्लिम तीर्थयात्री मक्का में काबा की यात्रा के लिए आते हैं
Maahe Dhul Hijjah -Bakra Eid
इस महीने के आठवें, नौवें और दसवें पर हज किया जाता है। अरफा का दिन महीने के नौवें दिन होता है। ईद अल-अधा, “बलिदान का त्योहार”, दसवें दिन से शुरू होता है और 13 वें के सूर्यास्त पर समाप्त होता है । इस दिन, मुसलमान इब्राहिम (AS) के बलिदान का सम्मान करने के लिए एक भेड़, भेड़, बकरी या ऊंट को क़ुर्बान (वध) करते हैं।
ईद उल फितर और ईद अल-अधा दोनों का इस्लाम में बहुत महत्व है, क्योंकि पैगंबर मोहम्मद (SAW) की निम्नलिखित हदीस से यह स्पष्ट है:
“अल्लाह ने आपको उन दावतों से बेहतर दिया है: ‘ईद-उल-अधा’ और ‘ईद-उल-फितर’।”
ईद अल-अधा (Bakra eid)और ईद उल-फितर पर उपवास (fast) रखना सख्त मना है, क्योंकि यह हमारे प्यारे पैगंबर मोहम्मद (S.A.W.) की निम्नलिखित हदीस से स्पष्ट है:
“ईद-उल-फितर और ईद-उल-अधा के दो दिनों में कोई उपवास की अनुमति नहीं है।”
Bakra Eid (Eid ul Adha ) Celebration
दुनिया भर के मुसलमान तीन दिनों के लिए ईद-अल-अधा (Bakra eid) मनाते हैं। हालाँकि, कुछ सुन्नतें हैं जिनका पालन हर मुसलमान को इस महान त्योहार को मनाते समय करना चाहिए।
Eid al Adha (Bakra Eid ) Namaz Ki Sunnat
1- सुबह जल्दी उठें।
2- अपने दांतों को मिस्वाक या ब्रश से साफ करें।
3- गुस्ल (स्नान) करें।
4- इस दिन आपको अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनने चाहिए।
5- परफ्यूम लगाएं।
6- ईद की नमाज से पहले खाने से परहेज करें।
7- ईद की नमाज के लिए जाते समय तेज आवाज में तशरीक की तकबीर का पाठ करें।
अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्लल्लाह, वा अल्लाहु अकबर, अल्लाह अकबर, वा लिल्लाह इल-हमद
“अल्लाह सबसे महान है, अल्लाह सबसे महान है, अल्लाह सबसे महान है, कोई भगवान नहीं है, लेकिन अल्लाह, अल्लाह सबसे महान है, अल्लाह सबसे महान है, और अल्लाह की प्रशंसा करो”
8- ईद की नमाज अदा करने के बाद खुतबा (प्रवचन) सुनें।
9- मस्जिद जाते समय और ईद की नमाज अदा करके लौटते समय अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करें।
Eid Ki Namaz (Bakra Eid Ki Namaz)- ईद की नमाज
1- ईद की नमाज का समय उस समय से शुरू होता है जब सूरज क्षितिज से तीन मीटर ऊपर होता है । जब तक कि सूरज अपने मध्याह्न तक नहीं पहुंच जाता। हालांकि, सूर्योदय के बाद शुरुआती घंटों में प्रार्थना करना बेहतर होता है।
2- ईद की नमाज बिना किसी ‘इक्मा’ या ‘अथान’ के अदा की जाती है।
3- ईद की नमाज़ में दो रकअत नमाज़ शामिल हैं, जिसके दौरान 6 बार तबकीर (अल्लाह-उ-अकबर) की घोषणा की जाती है।
4- बाकी ईद की नमाज़ रोज़ की जाने वाली दूसरी नमाज़ की तरह ही है।
5- नमाज़ पूरी करने के बाद ईद की नमाज़ के बाद नमाज़ (ख़ुतबा) सुनना सुन्नत (कुछ विद्वानों का कहना है कि यह वाजिब है) है। इसलिए ईद की नमाज़ पूरी करने के बाद इमाम के उपदेश को समाप्त करने के लिए रुकना चाहिए।
खुतबा सुनने के बाद, मुसलमान एक-दूसरे को ईद मुबारक (Happy Eid) आदि की बधाई देते हैं। हालांकि, सबसे आम ईद की बधाई देने वाले मुसलमान अपने दोस्तों और साथी मुसलमानों को ‘ईद मुबारक’ के साथ शुभकामनाएं देना पसंद करते हैं।
जानवारो की कुर्बानी Jaanwaro Ki Qurbaani पशु बलि
Bakra Eid– ईद अल अधा के दिन जानवर या कुर्बानी का बलिदान न केवल पैगंबर इब्राहिम (AS) बल्कि हमारे प्यारे पैगंबर मोहम्मद (SAW) की भी एक सुन्नत है। हालांकि, कुछ विद्वानों का मत है कि यह ‘वाजिब’ (अनिवार्य, Reasonable) है।
Allah के रास्ते में मवेशियों की कुर्बानी देना इबादत का एक बड़ा काम है। यह कुर्बानी देने वाले को Allah के करीब लाता है। मवेशी उन जानवारो को कहा जाता है । जिनके सींग होते हैं, तथा जिन्हें दूध, मांस व रेशा जैसी बिकने योग्य वस्तुओं की प्राप्ति के लिए पाला जाता है।
हदीस स्पष्ट रूप से Allah के रास्ते में बलिदान के महत्व का जिक्र करती है। इसमें उन मुसलमानों के लिए एक चेतावनी भी शामिल है। जिनके पास Eid al Adha पर कुर्बानी करने के लिया बहुत पैसा होता है, लेकिन किसी सांसारिक कारण या कोई बहाने ऐसा करते हैं । जिस से क़ुर्बानी ना करे ।
Conclusion
Bakra Eid– Allah ने जिसको भी इतना पैसा दिया है। जो इस कुरबानी को कर सके। उनको चाहिए की वो पैगंबर इब्राहिम (AS) की सुन्नत को पूरा करे। लेकिन उन गरीब भाइयों और बहनों का भी पूरा ध्यान रखे । जिनके पास इस त्योहार मनाने के लिए पर्याप्त पैसा नही होता है।
Bakra Eid साथ ही ईद के इस खास मौके पर हमें और सभी भाइयों और बहनों को अपनी दुआओं में याद करें।
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