हिंदी सिनेमा के इतिहास मे कई बेहतरीन कलाकार आये और चले भी गए। लेकिन एक कलाकार ऐसे भी आये जिसने फिल्मी दुनिया का चेहरा बदल दिया। उनकी अदाकारी से फिल्मी दुनिया मे एक्टिंग की नई परिभाषा का जन्म हुआ। उस महान शख्स ने ये साबित कर दिया कि सुपरस्टार भी किसी को कहा जा सकता है।
Hindiwallah की तरफ से हम आपको बतायेंगे। एक ऐसे शख्स के बारे मे जिसकी जितनी तारीफ करो कम है। Dilip Kumar Biography Hindiदिलीप कुमार (Dilip Kumar) का नाम किसने नही सुना सभी ने सुना है। यही वह शख्स है जिसकी जितनी तारीफ करो कम है
आपको जानकर हैरानी होगी की फिल्म इंडस्ट्री (Film Industry) के Show Man राज कपूर(Raj Kapoor) और दिलीप कुमार बचपन के दोस्त थे। दोनो ने एक ही स्कूल मे पढाई भी की थी। 17-18 साल की उम्र मे लडाई होने के बाद दिलीप साहब अपने पिता जी के साथ पूना आ गए थे।दिलीप कुमार साहब ने पूना आने के बाद एक होटल के सामने अपना छोटा मोटा सा काम लेकर बैठ गए। उस होटल क सामने वो सैंडविच बेचने लगे ।इसी तरह अपनी कमाई करने का जरिया बनाया।
दिलीप कुमार जन्म तिथि ( Dilip Kumar Date of Birth)-
आज हम आपको वो बातें बतायेंगे जिसको शायद आप नही जानते होंगे। इसलिए हमारा आर्टिकल पूरा पढ़े। Dilip Kumar का पूरा नाम Mohammad Yusuf Khan था। Dilip Kumar ki Date of Birth 11 दिसंबर 1922 को पेशावर मे हुआ था। जो पेशावर आज पाकिस्तान का हिस्सा है।
दिलीप कुमार आयु, मृत्यु तिथि- (Dilip Kumar Age,Death Date)-
Dilip Kumar का 7 जुलाई की सुबह निधन हो गया। वह लंबे समय से उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे थे। पिछले कुछ दिनों से वह मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें 30 जून 2021 को भर्ती कराया गया था और तब से वह गहन चिकित्सा इकाई में थे। अब दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र मे निधन हो गया। और पूरा देश शोक मना रहा है।
दिलीप कुमार इतिहास हिंदी में ( Dilip Kumar History in Hindi )-
Dilip Kumar जी ने कभी किसी को बताया नही कि वो एक अमीर परिवार से हैं। उस वक़्त की महान एक्ट्रेस देवीका रानी(Devika Rani) थी। जब देवीका रानी की नजर Dilip Kumar पर पड़ी। Dilip Kumar साहब की उर्दू और अंग्रेजी की समझ देखकर। देवीका रानी मे उन्हे बॉम्बे टाकीज मे एक स्क्रिप्ट राइटर(Script Writer) के तौर पर रखा। देविका रानी के कहने पर उन्होंने 1944 मे ज्वार भाटा फिल्म मे पहली बार एक्टिंग की।तभी उन्होंने अपना नाम Mohammad Yusuf Khan बदल कर Dilip Kumar रख लिया। नाम बदलने की सलाह उनको देविका रानी ने ही दी थी।
लोगो ने उनकी एक्टिंग देख कर बहुत तारीफ की। यही एक्टिंग देख कर हॉलीवुड की एक फिल्म की लिए भी औफर मिला। Dilip Kumar साहब ने उस औफर को मना कर दिया। फिल्म मे काम करने को मना कर दिया। उस हॉलीवुड फिल्म का नाम Lawrence of arabia था। Lawrence of Arabia फिल्म के रिलीज़ होने की बाद 1963 मे सबसे ज्यादा ऑस्कर अवार्ड्स मिले। जिस रोल के लिए डायरेक्टर ने Dilip Kumar साहब को कंसीडर किया था। उसी रोल के लिए Best Supporting Actor का Awards मिला था।
भारत मे फिल्म फेयर(Film Fair) की शुरुआत सन 1956 मे हुई। दिलीप कुमार एक ऐसे एक्टर थे। जिनको ये बेस्ट एक्टर(Best Actor) के लिए सबसे पहले बेस्ट फिल्म फेयर अवॉर्ड से नवाजा गया। ये अवॉर्ड्स उनको 1952 की सुपर हिट फिल्म Daag के लिए दिया गया। फिल्म फेयर बेस्ट एक्टर अवॉर्ड्स जिसने सात बार लिया। वह कोइ और नही वल्कि दिलीप कुमार साहब ही है। ये एक ऐसा रिकॉर्ड है । जो सदी के महानायक Amitabh Bacchan और फिल्म इंडस्ट्री के किंग खान Shahrukh Khan से भी नही टूटा है।
Dilip Kumar Wikipedia in Hindi (Film Fair Awords)
1983 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – शक्ति
1968 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – राम और श्याम
1965 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – लीडर
1961 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – कोहिनूर
1958 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – नया दौर
1957 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – देवदास
1956 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – आज़ाद
1954 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – दाग
उन दिनों बताया जाता है कि ये एक ऐसे एक्टर थे। जो सबसे ज्यादा फीस लेते थे। ये अपनी एक फिल्म के लिए एक लाख रुपये लेते थे। उस दौर के एक लाख की तुलना आज के समय मे की जाए। तो 50 करोड़ लेने वाले एक्टिंग के किंग Rajni Kant जी के बराबर है। उन दिनों दिलीप साहब को Tragedy is King कहा जाने लगा।

Dilip Kumar Sahab जिसको अपना गुरु मानते थे उनका नाम Ashok Kumar था। एक इंटरव्यू मे दिलीप सहाब ने कहा था। आप Natural Acting किया करो। जब Rajesh Khanna की फिल्म इंडस्ट्री मे एंट्री हुई थी। तब दिलीप साहब की फिल्मे फ्लॉप(Flop) होने लगी थी। तब Dilip Kumar ने पांच साल तक मूवीज मे काम नही किया था।

फिल्मी दुनिया तो अहम मुक़ाम देने वाले Dilip Kumar साहब को भारत सरकार ने 1991 में पदम् श्री से सम्मानित किया। इसी के साथ 2015 पदम् विभुषण से नवाज़ा गया।

1980 में Dilip Kumar साहब को सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया। दिलीप कुमार को 1995 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।जो सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है। 1998 में उन्हे पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी नवाज़ा गया ।
RIP